Tuesday, March 8, 2011

‘कहानी’


कल देर रात तक
मोहब्‍बत,शबाब, शराब,
के जाम छलकें होगें
आकेस्‍टरा की धुन पर,
थ्रिरकते कदमों,
तालियों की र्गगराहट, के बीच
नव दम्‍पति नव सूत्र में बँधे
वर्तमान पर भविष्‍य की नींव,
रख रहे होंगे
तभी
इतनी सुबह
शमियाने के उस पिछले
कोने में,
चावल के ढेर
पनीर के चन्‍द टुकडे
आधे खाये भल्‍ले
फैली चटनी
सूखी होती पूरियों के
ऊपर भिनभिनाती मक्खियॉं
टेडी दुम वाले कुत्‍ते
और
कागज बीनते लड़को का झु़ड़
अपने अपने हिस्‍से
बटोरते
सुना रहे हैं
रात की ‘अनदेखी कहानी’