मैं खोजती शब्द.........
घर के हर कोने में
दरवाजों के पीछे
बंद संदूकों में
आंगन में, चौबारे पर
परछती पर
पलंग के नीचे
अलमारी के पीछे
रोज यहीं तो छिपा करते थे
कहां गए शब्द.......
बंद आंखों से भी
खोज लिया करती थी मैं शब्द
खामोशी में भी चुन लिया करती थी
आज खोजती शब्द.........
वक्त खटखटाता रहा दरवाजा
मैं खोजती रही शब्द
तुम्हें मिले तो बताना
वो शब्द जो जोड़ते खुद को खुद ही से
वो शब्द जो सुनने को आतुर रहें हम सब
वो शब्द जो जोड़ते मन के तार
जिन्हें सुन बजे सितार
वो शब्द जिन में बनावट नहीं
वो शब्द जो देते मरहम
वो शब्द जो खामोश कहते समझते दिल की बात
हां वही सभी शब्द
मिले तो बताना ।
घर के हर कोने में
दरवाजों के पीछे
बंद संदूकों में
आंगन में, चौबारे पर
परछती पर
पलंग के नीचे
अलमारी के पीछे
रोज यहीं तो छिपा करते थे
कहां गए शब्द.......
बंद आंखों से भी
खोज लिया करती थी मैं शब्द
खामोशी में भी चुन लिया करती थी
आज खोजती शब्द.........
वक्त खटखटाता रहा दरवाजा
मैं खोजती रही शब्द
तुम्हें मिले तो बताना
वो शब्द जो जोड़ते खुद को खुद ही से
वो शब्द जो सुनने को आतुर रहें हम सब
वो शब्द जो जोड़ते मन के तार
जिन्हें सुन बजे सितार
वो शब्द जिन में बनावट नहीं
वो शब्द जो देते मरहम
वो शब्द जो खामोश कहते समझते दिल की बात
हां वही सभी शब्द
मिले तो बताना ।
सीमा स्मृति