Sunday, May 15, 2011

ए‍‍हसास

प्‍यार का अर्थ पाना नहीं, देना
प्‍यार पाने की इच्‍छा,
किसी के करीब होने की चाह,
किसी का अपना कहलाने का एहसास
किस कद्र दर्द बन जाता है
ये उस कमरे की दीवारों पर
टकटकी लगाए उन आंखो से पूछो
या
कानों से,  जो हर आहट पर सिरहन दे जाते हैं ।

Sunday, May 8, 2011

पहचान

इंसान थे हम,
देवता बना वो पूजते रहे
बेखबर इस बात से
पत्‍थरों की भी उम्र होती है
टूट के बिखर जाने पर
पूजने वाले पहचानते नहीं

Sunday, May 1, 2011

कल्‍पना

सुख के पंख होते हैं
उडा जा सकता है अंतहीन असीमित
इसी भ्रम में
दुख की परत दर परत
हम ओढते चले जाते हैं ।