Wednesday, April 9, 2014
पतझर
1
हुई खामोशी
पतझर- सी पीली
घूमे अकेली ।
2
ख़्वाबों के रंग
क्यों हुए बदरंग
बूझो पहेली ।
3
वो ठूँठ बना
करता इंतजार-
आए बहार।
4
वक्त सीखता-
रंगों की पहचान
बन सुजान।
5
बदले चाल
पतझर के बाद
आये बहार।
6
बदले रंग
जीवन व मौसम
7
टूटे पत्तों- सी
जिन्दगी की कड़ियाँ
टूटीं- बिखरी।
8
ये एतबार-
यूँ मिलेगी बहार
हो नया प्यार ।
9
वक्त- आईना
कभी न घबराना
चलते जाना।
10
अपना साया
इंद्रधनुष बन
बदले रंग।
Friday, April 4, 2014
बचा लो
कैसा लगा दीमक
आज समाज में
गलने लगा, सड़ने लगा
हर रिश्ता! संबंध !एहसास
गुरू-शिष्य
पति-पत्नी
बाप-बेटी
भाई-भाई
भाई-बहन
जनता-नेता
चीखते पुकारते
करते हैं सवाल
कहां से आया दीमक
खोजो इलाज
वरना बिखर जाएगा
टूट जाएगा
मिट जाएगा---- समाज
क्या देगें हम अपनी नस्लों को
क्या सिर्फ दुर्गन्ध
रूक जाओ ----
ठहर जाओ ----
थम जाओ -----
खोजो इलाज----
बचा लो
ये टूटता-बिखरता समाज
बचा लो - बचा लो
खुद ही को इस दीमक से।
सीमा स्मृति
चित्र गुगल प्रभार
Thursday, April 3, 2014
जीवन के रंग
1
अपने संग
सहेजती मैं रंग
तितली बन।
2
टूटे सपने
रूठ गए अपने
बने पराये ।
3
खोजती पंख
छू लेती आसमान
मेरी उड़ान ।
4
खोये शब्द
ना लिखा गया पूरा
गीत अधूरा।
5
माँ का सपना
बने घर अपना
जोड़े सामान ।
6
मैं हूँ खोजती
खो गए सभी मोती
माला पिरोती ।
7
करो स्वीकार
सपने हों साकार
ये एतबार।
8
खिले गुलाब
न। हों संग ये काँटे
दर्द मिटा दे।
9
मेरी तन्हाई
कभी लेगी बिदाई
रात,ना आई।
10
ये सुख -भ्रांति
दुख देता अशांति
खोजते शांति ।
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