Sunday, June 8, 2014

मुस्‍कान


    1
 हवा से हल्‍की
 बचपन की साथी
 क्‍यों खो जाती।
        2
 कभी कटीली
 लिपटी चश्‍नी संग
 बदले रंग ।
     3
 आंखो से बोले
 राज दिल के खोले
 ये हौले-हौले।
    4
 सभी पढ़ते
 ये बेबस मुस्‍कान
 बन अन्‍जान।
      5
 करे हैरान
कभी ये परेशान
फीकी मुस्‍कान।
   6
पहाड़ी नदी
सी, बहती जाए
मिठू मुस्‍कान।
    7
तहों में करे
कैद, दिल के राज
ये भी अंदाज।
     8
ये जहरीली
करे दिल पे वार
यूं बार-बार।
    9
जूही की कली
महकाती आंगन
भोली मुस्‍कान।
10

कभी ये आये
कभी सिमट जाये
खोजी मुस्‍कान  ।


माटी


   1
कान्‍हा ने खाई
माई सृष्टि दिखाई
लीला रचाई।
    2
माटी से बने
मिलेंगे माटी ही में
क्‍यों हैं अन्‍जान ।
    3
माटी का मोल
जीवन अनमोल
योद्धा के बोल।
   4
ललाट लगी
माटी देश की शान
बढ़ाती मान।
    5
सौंधी ये गंध
करे बावला मन
देती जीवन।
    6
हो ये बावरी
क्‍यों बनी किरकिरी
जीवनदात्री।
    7
हैं खेले खेल
बचपन की साथी
अब ना भाती।
    8
रूप अनेक
ये कारी भूरी लाल
देती दुलार।


 28.05.2014