1
संवेदना-सी
जमी, सर्दी की शामें
ढूंढती आंच ।
2
खोजते,इक
टुकड़ा आशियाना
सर्दी का आना।
3
रैन-बसेरा
ये ना मेरा,ना तेरा
हुआ सवेरा।
4
सर्दी के दिन
वो कुनकुनी धूप
मिला खजाना।
5
इक टुकड़ा
धूप अमृत लगे
खोजें निगाहें।
6
शीत लहर
पांच मरे-खोजें हैं
अर्थ सर्दी के।
7
दुबके पंछी
ठिठुरते इंसान
करे बयान।
8
जम सी गई
खोजती लकडि़यां
वो दो निगाहें।
सीमा स्मृति