आज याद कि पिटारी में से एक याद का मोती आप सब के लिए निकल आया। शायद से बात सन्
उन्नीसों बहतर की है मैं मात्र केवल नौ वर्ष की थी। मुझे टेलीविजन देखने का बहुत
शौक था। बहुत ही शौक था। मैं उस समय की
बात कर रही हूँ जब टेलीविजन के शुरूवाती दिन थे। पूरे मोहल्ले में एक ही घर पर
एनटिना दिखाई देता था। मुझे टेलीविजन देखने की
इतनी रूचि थी कि मैं अपने मोहल्ले
की लाइट ना होने पर कभी कभी दूसरे मोहल्ले के घर में टेलीविजन देखने चली जाती थी
। कोई कोई टेलीविजन वाला घर तो इतवार को फिल्म आने वाले दिन, पचीस पैसे टिकट लगा देता था मुझे याद है, हमारे सामने
वाले घर में टेलीविजन वाली आँटी की बेटी से मेरी दोस्ती थी । हम दोनों हमेशा घर–घर, स्टापू,गिट्टे रस्सा कूदना,पिठू-गर्म
जाने क्या क्या खेल साथ साथ खेलते थे।
एक दिन रंजना से मेरी लड़ाई हो गई। शायद बात
मम्मियों तक पहुँच गई। ओहो वो दिन था
इतवार । फिल्म आने का दिन, मैं उन के गेट पर अन्दर जाने को
खड़ी थी । तभी उसकी मम्मी दनदनाती हुई निकल कर आई और बोली कि खबरदार जो घर में
घुसी, तेरी एक टांग तो खराब है, लगड़ी
है, दूसरी भी तोड़ दूँगी(मेरी टांगो में पोलियो है)और मुझे
वहाँ से भागा दिया । मैं उनकी लगड़ी बात
से ज्यादा दुखी नहीं हुई अपितु फिल्म ना
देख पाने के दुख के कारण रो रही थी ।
मेरे पिता जी ने मुझे बहुत समझाने कि कोशिश की पर मेरा वो दुख तो फिल्म ना देख पाना था । मैं रोते रोते सो गई।
अगले दिन उदास मन से स्कूल चली गई। मुझे याद है स्कूल में पढ़ाई में दिल नहीं लग
रहा था बल्कि मैं रंजना से पुन: दोस्ती करने के उपाय सोच रही थी। दोपहर को जब मैं
घर आई तो मेरी खुशी का टिकाना नहीं रहा । मेरे पिता जी हमारे लिए वेस्टन कम्पनी
का एक नया टेलीविजन ले आये थे । मम्मी ने बताया कि पापा ने कल साथ वाली आँटी ने
जो मुझे टांग तोड़ने वाली बात कही थी,
वो सुन ली थी । थोड़े दिनों बात मैं देखा कि पापा शाम को घर
देर से आने लगे । मैं कई बार पापा के आने का इंतजार करते करते सो जाने लगी और कभी सुबह
देखती कि पापा का गला खराब है वो अक्सर गगारे कर रहे होते थे ।मैंने मम्मी से पूछा कि पापा आजकल इतनी देर से क्यों
आते हैं तो मम्मी ने बताया कि हमारे पास इतने रूपये नहीं थे कि टेलीविजन खरीद
सकें।उन्होने अपने दोस्त से उधार लिया है। ये टेलीविजन बहुत मंहगा है। चार हजार
रूपये का है इसलिए तेरे पापा अपने स्कूल के बाद तीन जगह टयूश्न पढ़ाने जाते हैं। ताकि हम उधार चुका सकें। आज भी मेरे जहन में टेलीविजन का वो मूल्य जो रोज सुबह पापा के गगारो
के रूप में सुनाई देता था याद है । आज हमारे घर में चार टेलीविजन हैं और पापा बहुत
शौक से दिन भर अपने कमरे में टेलीविजन देखते रहते हैं..........................
मिश्री सी मीठी
निबौरी सी –कड़वी
अनंत यादें। सीमा स्मृति