मीठी -सी ख़ुशबू
मीना दीदी की लिखी किताब बँधी हुई खुशबू के साथ साथ मेरी जिन्दगी का सफर
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मन की बात
बच्चों के मुख से
क्षणिका
कविता
Saturday, April 23, 2011
वो कहती हुई चली गई इस दुनिया से
कि
शब्दबद्ध किया करू मैं अपने उदगारों को प्रतिदिन
मैं
उदगारों को जीने का प्रयास करती रही
अथाह सागर से गहरी थी
मेरी उस सखी की सोच
आज
मैं उदगारों में शब्द खोजती हूँ
।
Tuesday, April 19, 2011
रंग
बेइंतहा प्यार मिला जिन्दगी को
उस रंगीन कैन्वस की तरह
जो रंगहीन हुआ करता है
वक्त के बेरहम रंग के तले ।
सीमा स्मृति
Monday, April 18, 2011
याद
नव अंकुरित कली सी ,
फिंजा में मोहक खुशबु सी,
हवा में सिमटी मद मस्त मस्ती सी,
चमकीली धूप सी,
शीतल चांदनी सी,
ये तेरी याद वर्षो से
मेरे जहन में करती अटखेली
तुम सखी सहेली थी मेरी,
दुनिया की निगाहों मे,
मेरे लिए आज भी तुम जिन्दगी की वो तस्वीर हो,
जिसे सहेजा है खुदा ने
अपने बनाये सभी रंगो से ,
तुम जीवन का वो आईना हो,
जिसमे आज भी अक्स निखर निखर जाता है ,
सीमा स्मृति
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