Sunday, May 1, 2011

कल्‍पना

सुख के पंख होते हैं
उडा जा सकता है अंतहीन असीमित
इसी भ्रम में
दुख की परत दर परत
हम ओढते चले जाते हैं ।

2 comments:

  1. धन्‍यवाद । मैं नहीं जानती थी हाइकू किस प्रकार की रचना होती हैं आपके ब्‍लॉग पर पढ कर जाना और समझा

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