1
तलाशती रही ज़िन्दगी-साथ
उनके भी साथ ,जो
चलते रहे साथ साथ।
2
ख़ामोशी को अक्सर
राह का पत्थर समझ
ठोकरे मिलती हैं
चशनी में डूबे शब्द
जो छलनी भी करें
दर्द रोमान्स लगता है।
बात स्व:प्रकृति की है
किसको क्या अच्छा लगता है|
3
बाँसुरी सी तेरी याद
आज भी मन की तहो में
देती सुर
सुबह नये गीत सी
और
शाम गज़ल सी बन जाती ।
4
तलाशती रही ज़िन्दगी-साथ
उनके भी साथ ,जो
चलते रहे साथ साथ।
2
ख़ामोशी को अक्सर
राह का पत्थर समझ
ठोकरे मिलती हैं
चशनी में डूबे शब्द
जो छलनी भी करें
दर्द रोमान्स लगता है।
बात स्व:प्रकृति की है
किसको क्या अच्छा लगता है|
3
बाँसुरी सी तेरी याद
आज भी मन की तहो में
देती सुर
सुबह नये गीत सी
और
शाम गज़ल सी बन जाती ।
4
कुदरत लिखती रही
हर दिन
जिन्दगी की किताब के पन्नें
हम किताबों में खोजते रहे ज़िन्दगी।
हर दिन
जिन्दगी की किताब के पन्नें
हम किताबों में खोजते रहे ज़िन्दगी।
5
सागर से पूछा
कैसे हज़ारो राज
अपने तहों में छिपाये रहते हो
सागर मुस्कराया और बोला
मैं इंसान नहीं
जो अनभिज्ञ रहे
अपने ही मन की थाह से।
कैसे हज़ारो राज
अपने तहों में छिपाये रहते हो
सागर मुस्कराया और बोला
मैं इंसान नहीं
जो अनभिज्ञ रहे
अपने ही मन की थाह से।
6
ये जिन्दगी
ठीक उसी सहेली सी है
जो प्यार तो बहुत करती है
पर मन की किसी तह में
जलन सम्भाले रखती है।
ठीक उसी सहेली सी है
जो प्यार तो बहुत करती है
पर मन की किसी तह में
जलन सम्भाले रखती है।
सीमा स्मृति
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ReplyDeleteI am satisfied to read your wonderful post and this content was very interesting. Truly well post and Keep doing...
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बहुत सुन्दर-सुन्दर भावपूर्ण क्षणिकाएँ.
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