1 जिन लम्हों
को समझ जिन्दगी,
जिया मैंने
आज एक अजब पहेली बन
जिन्दगी में हैं छाये ।
2
बरसों साथ जीने से क्या होता है
कुछ तहें साथ जीने से नहीं
वक्त की तपन में ही
खुला करती हैं।
3
गजब पहेली है जिन्दगी
जितनी सुलझी
लगती है
उतनी ही नई बुनती
बुन लिया
करती है।
4
आज भी कुछ बीते लम्हे
प्रस्फूटित होते है नयी कोंपल बन
मन उल्लास में हिलोरे लेना चाहता है
ठीक उसी क्षण
‘वो’ वर्तमान
नामक दराती से
काट डालते हैं कोंपल,
बेदर्दी से।
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