Saturday, March 29, 2014

क्षणिका

1 वोह सांसों के साथ इक लम्‍हा बह गया,
   पकड़ो मत।
   ये क्‍या कम है,कौन अपना था
   समझ आ गया।
2 अपने मन की तहें समझ ना आई
    कहते हैं दुनिया देख ली।
3 वो कहते हैं,जिन्‍दगी में कुछ ना मिला?????
   ओ बेखबर इस प्रश्‍न ने सब झुलसा दिया।
4 हर  पल मेें जिन्‍दगी जीना जिनको अा गया
   वो नहीं खोजा करते साधना का साथ
   


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