मीना दीदी की लिखी किताब बँधी हुई खुशबू के साथ साथ मेरी जिन्दगी का सफर
मुझे इस क्षनिका से एक शेर का मुखड़ा याद आ रहा है॥“जब जरा झुकाई गर्दन देख ली तस्वीरे यार” ॥ यह एहसास ही तो हैं ,जो दूरियों को मिटा या बड़ा देते हैं।
Note: Only a member of this blog may post a comment.
मुझे इस क्षनिका से एक शेर का मुखड़ा याद आ रहा है॥“जब जरा झुकाई गर्दन देख ली तस्वीरे यार” ॥ यह एहसास ही तो हैं ,जो दूरियों को मिटा या बड़ा देते हैं।
ReplyDelete