Friday, December 6, 2013

दूरियाँ

 दूरियाँ  वक्‍त की कमी से नहीं
शहरों के अंतराल से नहीं
एहसास की सरहद में आंकी जाती है।
06.12.2013

1 comment:

  1. मुझे इस क्षनिका से एक शेर का मुखड़ा याद आ रहा है॥“जब जरा झुकाई गर्दन देख ली तस्वीरे यार” ॥ यह एहसास ही तो हैं ,जो दूरियों को मिटा या बड़ा देते हैं।

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