पहले----
तेरी खामोशी प्यार के इकरार का शोर मचाती थी
अब-----
खामोशी में लिपटा तेरा अहं हर बार नया जख्म दिया करता है।
06.12.2013
तेरी खामोशी प्यार के इकरार का शोर मचाती थी
अब-----
खामोशी में लिपटा तेरा अहं हर बार नया जख्म दिया करता है।
06.12.2013
यह मान के चलिये की वो सचा प्यार था ही नहीं ॥ प्यार करने वाले खुद फनह होना पसंद करते है बनिस्बत जख्म देने के...
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