Wednesday, January 6, 2016

बूझो


कौन है -वो
शांत
बर्फ गिरने के बाद घाटी -सी
मासूम
सर्दी की भोर -सी
चंचल
पहली बरसात के बाद नदी-सी
ख़ामोश
झील की तह-सी
मीठी
झरने की पहली-धारा सी
दुखी
फटी धरती की दरारों- सी
परेशान
छाँव को  तरसते-भटकते राहगीर-सी
हाँ
वो जिन्दगी ही है
आईने सी खुद पे मुस्करा रही।
सीमा स्मृति

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