Monday, December 29, 2014

ममता

1
यशोदा कहो,
या पुकारो देवकी
इक रूप -सी ।
2
है कभी ढाल,
कभी तलवार
उर विशाल ।
3
ममता छाँव
है शीतल चाँदनी
भरे है  घाव ।
4
भूख की आग
झुलसती ममता
बेचती कोख ।
5
इंसान ही क्‍या
जानवर भी जाने
ये मूक बोली ।

सीमा स्‍मृति 

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