Monday, January 26, 2015

“खोज”


मिश्री से मीठे,
निबोरी से कड़वे,
कैक्‍टस से कटीले,
फाहे से सोखते दर्द,
रेत से सरकते,
दलदल से खींचते,
दिन से उजले,
अमावस्‍या की रात से घनेरे,
गोंद से लिजलिजे,
हवा से हल्‍के,
एहसास से बहते,
खुली चोट से विभत्‍स,
हैवानियत से क्रूर,
प्रकृति से मोहक,
आसमान से विस्‍तृत,
धरा से रहस्‍यमय,
सागर से गहरे,
वक्‍त से अनिश्चित,
फूलों से कोमल
मानवीय रिश्‍तों के ये अनूठे रंग-रूप
बिखरे जीवन के अदभुत कैन्‍वस पर
करते कभी हैरान कभी परेशान
कभी करते जीवन को आसान
कभी करें बेचैन
कभी छीन लेते चैन
रिश्‍ते
प्रश्‍नों की सलीब---खोजते अर्थ।

सीमा स्‍मृति 

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