यूँ तो अपनी परछाई भी
छोड़ देती है साथ, बिना रोशनी के
कौन रहता है, हर लम्हा किसी के साथ,
खोजती मैं, जिन्दगी हर लम्हें के साथ,
रहते हम साथ नहीं
साथ उम्र भर का नहीं,
वादा भी कोई किया नहीं
बस-जीना चाहती हूँ
छोटा-सा साथ
दे पूर्णता का एहसास ।
सीमा स्मृति
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