1
कांपी धरती
पिघला आसमान
मूक इंसान।
2
टूटा घरौंदा
बिखरा है सामान
कैसी पहचान।
3
रौंदी धरती
भूले हैं परिणाम
अब हैरान।
4
वीरान बस्ती
सहमी है धरती
ये है प्रगति।
5
गीत भूल
मीलों तक खमोशी
सुनाती दास्ताँ।
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