Wednesday, January 8, 2014

वसन्त

1
प्रसन्न मन
प्रफुल्लित है तन,
आया वसन्त। 
2
मन के तार
बिना साज के राग  
छाया वसन्त 
3
महके फूल
तितली चूमे होंठ
भँवरे गाएँ। 
4
धुन बजती 
थिरकते कदम

झूमे है धरा 

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