Thursday, January 9, 2014

सो स्‍वीट.........


हम बहुत देर से ट्रैफिक जाम में फसे थे। एक घँटे  से ज्‍यादा हो गया था मगर कार एक इंच भी आगे नहीं बढ़ी थी । तभी मेरी नजर सड़क के किनारे एक बच्‍ची पर पड़ी, वो मिट्टी में खेल रही थी । साथ ही में उसकी एक छोटी सी बाल्‍टी सी रखी थी। शायद वो उसके भीख मांगने का बर्तन था। आस-पास और बच्‍चे भीख मांग रहे थे।
लड़की बहुत सुन्‍दर थी और मुझे उस से भी ज्‍यादा तो उसकी वो छोटी छोटी शरारतें लग रही थी कि मैं अपना ध्‍यान उससे हटा नहीं पा रही थी। कभी वो सूरज को अपनी अंगुलियों के झरोंकों से देखती, तो कभी सड़क के किनारे लगे फूल को सूँघती और उसके चेहरे एक मीठी सी मुस्‍कान सिमट जाती। फिर उसी फूल पर हाथ फेरती जैसे कोई मां अपने बच्‍चे को सहला रही हो।
कार में मेरे साथ मम्‍मी भी थी। मम्‍मी देखो कितनी प्‍यारी,कितनी स्‍वीट ! कितनी लवली बच्‍ची है। मैं मम्‍मी को दिखाने लगी। मम्‍मी ने अनमने मन से देखा और पापा से बात करने लगी।
इतने मैंने देखा कि वो एक छोटी सी डंडी ले कर जैसे कुछ लिखने की कोश्शि कर रही थी। अरे वाह उसने लिखा। मै मंत्रमुग्‍ध सी उसे देख रही थी।
तभी मैंने देखा कि एक औरत गुस्‍से तमतमाती हुई आई और उस स्‍वीट सी बच्‍ची को मारने लगी और कुछ बोल भी रही थी। फिर उसका बर्तन उसे पकड़ाने लगी।
ओह!वो जरूर उसे भीख मांगने को कह रही थी। तभी वो औरत उस बच्‍ची का हाथ जोर से पकड़ हमारी कार के करीब आ रही थी और वो बच्‍ची जोर जोर से रो रही थी।
मैंने अपनी कार का शीशा नीचे किया और उसे बोली, “क्‍यों मार रही हो आप कितनी प्‍यारी और स्‍वीट बच्‍ची है।
तभी वो औरत चिल्‍ला कर और उस बच्‍ची को मेरे शीशे की ओर धकलेती हुई बोली,“,तू ले जा बहुत प्‍यारी लाग रही है तैने।
मम्‍मी ने गुस्‍से से मेरी ओर देखा और जल्‍दी से कार का शीशा बन्‍द किया और कार चल पड़ी।
सीमा स्‍मृति

09.01.2014 

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