1
यशोदा कहो,
या पुकारो देवकी
इक रूप -सी ।
2
है कभी ढाल,
कभी तलवार
उर विशाल ।
3
ममता– छाँव
है शीतल चाँदनी
भरे है घाव।
4
भूख की आग
झुलसती ममता
बेचती कोख।
5
इंसान ही क्या
जानवर भी जाने
ये मूक बोली।
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