Wednesday, January 8, 2014

ममता


1
यशोदा कहो,
या पुकारो देवकी
इक रूप -सी ।

2
है कभी ढाल,
कभी तलवार
उर विशाल ।

3
ममताछाँव
है शीतल चाँदनी
भरे है घाव।

4
भूख की आग
झुलसती ममता
बेचती कोख।

5
इंसान ही क्‍या
जानवर भी जाने
ये मूक बोली।







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