Thursday, January 16, 2014

चेंज

                                चेंज-1
अरे वाह! नीतू इस पिक में तो तुम बहुत सुन्‍दर लग रही हो, कौन सी जगह है ?” मैंने  पिक्‍स देखते हुए नीतू से पूछा।
अरे ! मासी ये पिक आन दा वे टू वृंदावन है और ये ग्रेटर नोयडा एक्‍सप्रेस हाईवे की है। क्‍या मस्‍त टूर था। स्‍टीरियो फुल्ल वॉल्यूम में चलाया और मस्‍ती करते हुए गए। नीतू बोली ।
तुम लोग, लास्‍ट मंथ  भी तो गए थे । फिर दुबारा वृंदावन । मैंने आश्‍चर्य से पूछा।
चिल मासी, चेंज बहुत जरूरी है। वृंदावन का रास्‍ता बहुत अच्‍छा है। दिल्ली से पास भी है और मंदिर भी हो आते हैं। मम्‍मी भी खुश। नीतू ने कहा।
                                          चेंज-2
भोला को फोन किया तुमने कब से गीजर खराब है। सर्दियां आने वाली हैं। फिर तुम लोग ही परेशान होगे। मैंने सुधा से कहा।
जी, किया था । पर वो तो फोन ही नहीं उठता है। आजकल तो इन लोगों के नखारे भी बहुत हो गए हैं। सुधा ने अजीब सा एक्स्प्रेश्न देते हुए कहा।
मैं अभी घर से निकला ही था कि भोला मिल गया।
अरे! यार भोला घर का गीजर तो ठीक कर दो तुम्‍हारी भाभी बहुत परेशान हो रही हैं। मैंने कहा।
आज तो मुश्किल है। भाईसाहब अब तो एक महीने बात ही हो पायेगा ।
क्‍यों, क्‍या हुआ ? कोई खास कारण है मैंने आश्‍चर्य से पूछा।
भाई साहब आप भूल गए। मैं हर साल कावड ले कर, एक महीने के लिए हरिद्वार जाता हूँ।
हां, मैं भूल गया। यार तुम तो बड़े भगत  इंसान हो। पैदल जाते हो, वो भी इतनी दूर।
हां अच्‍छा लगता है जाना । सारी टेंश्‍न घर परिवार की चिक चिक से दूर । दोस्‍तों के साथ एक चेंज भी हो जाता है।

सीमा स्‍मृति
16.01.2014



No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.