बच्चों को छबीस जनवरी दिखाने का प्रोग्राम बनाया
गया । भईया ने कार निकाली और हम अपने घर से
निकल कर अभी हम आई टी ओ के पुल पर पहुंचे ही थे कि मेरा भतीजा
बोला कि ‘ममा आज तो कमाल हो गया। आज तो कमाल ही हो गया।
क्या हुआ सात्विक,ऐसा क्या हो गया ।
मम्मी आज हम इतनी दूर तक आ गये पर पापा ने
कोई गाली नहीं दी।
मै और भाभी हैरान हो, और एक दूसरे को देख
कर मुस्करा रहे थे और भईया कुछ शर्मिदा से लगे। बात दरसल यह थी कि भईया को ड्राइविंग करते वक्त अकसर बहुत गाली देने की आदत
थी । यदि कोई साथ चलने वाला,गलत डाईव कर रहा होता तो, अक्सर गाली दे कहते ‘ उल्लू के पटठे’ देखकर गाडी चला या कोई और गाली भरा विशेषण लगा देते
थे। वो दिन और आज का दिन है,भईया ने गली
देना छोड दिया है। हम आज तक सात्विक की इस बात को याद कर हंसते रहते हैं।
सीमा’स्मृति’
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