‘एक’
रचना : प्रिया अब तो तुम्हारे मम्मी
पापा ने भी तुम्हारे और रमन के प्यार को स्वीकृति
दे दी है ,कब कर रहे हो तुम लोग शादी ?
प्रिया
: दीदी, कैसे करें पापा कहते हैं अगले साल तक ही शादी के लिए पैसों का
इंतजाम कर पायेगें ।
रचना
: प्रिया तुम ही बता रही थी कि रमन के माता पिता तो सिम्पल मैरिज के लिए
तैयार हैं फिर तुम लोग मन्दिर में शादी क्यों नहीं कर लेते हो क्यों एक साल
वेसट कर रहे हो?
प्रिया : क्या दीदी मेरे और रमन के भी कुछ अरमान हैं ।
शादी तो एक ही बार होनी
है। शादी का कुछ मजा तो आए।मैं तो जब़रदस्त बैंड बाजा वाली शादी करना
चाहती हूँ, खूब डैकोरेशन, सभी रस्में मौज मस्ती। फिर पापा हमारे नये घर
के
लिए कुछ तो देगें। इंतजाम कर रहे हैं । सिम्पल शादी में क्या मिलने वाला
हैं?
‘दौ’
मामा:
गीता, अपनी मम्मी से पूछ कर बताना मुझे तेरी शादी में क्या देना है, जो तेरी
मम्मी नहीं खरीदा वो मै खरीद दूंगा ।
गीता :
हॉं मामा जी पूछ कर बताती हूँ । मम्मी को मैने नये घर के सामान की लिस्ट
दी है । देखो ना मामा जी रमेश के पापा तो सामान को मना कर रहे हैं । वो
तो जयपुर में रहते हैं हम दोनों तो दिल्ली ही मे रहेगें क्या हमे अपने
नये घर
के लिए सामान नहीं चाहिए ? मम्मी पापा ने
इसी दिन के लिए तो पैसे जमा
किए हैं। मम्मी से पूछ कर आप को
बताती हूँ कि क्या खरीदने को रह गया
है?
‘तीन’
अनु :
दीदी दस तारिख को मैं विनय के साथ मंदिर में शादी कर रही हूँ ।
रचना : अरे वहा यह तो बहुत खुशी की बात
है। भगवान तुम्हें सदा खुश रखें ।
अनु
: दीदी बस एक मलाल रहेगा । घर
वालों ने मुझ से रिश्ता तोड़ दिया है।
किसी से कुछ मिलना मिलाना नहीं है ।घर वाले मान जाते तो कुछ कपडे लते
घर के सामान का इंतजाम तो करते । अब तो सुई से लेकर फ्रिज तक हमें
खुद खरीदना पडेगा ।
सीमा ‘स्मृति’
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