जब कभी हिजडों को रेड लाइटो पर भीख मांगते
देखती हूँ तो मन द्रवित सा हो जाता है। इन का क्या कसूर है ? कहीं कोई स्वीकृति नहीं ।
ईश्वर की लीला के आगे किसी की नहीं चलती है।मैं अपने साइड अटैचमेंट वाले स्कूटर को रेड लाइट पर आफ कर सोचती रहती थी । अपने पर्स की बाहर वाली जेब में पैसे रखती थी और
सोचती यदि कोई हिजडा मांगने आएगा तो ग्रीन
लाइट होने से पहले पैसे जल्दी से दे दूँगी
। आश्चर्य मुझ से भीख मांगने कोई हिजडा नहीं आता था । मेरे पास से निकल जाते पर कभी मांगते
नहीं । पता नहीं क्यों ??क्या मैं महिला हूँ
? यह प्रश्न मुझे परेशान
करता रहता था । ये बात ओर है कि एक दो बार मेरे पास से निकलने वाले हिजडे को मैंने
इशारे से बुला पैसे दिये थे।
अभी हाल ही मे मुझे प्रोमोशन मिली और मैं
मैनेजर बन गई । सर्वप्रथम मैंने आटोमैटिक कार खरीदी । हमेशा की तरह आफिस के रास्ते
पर आने वाली रेड लाइट पर मुझे वही हिजडा दिखाई
दिया जो प्राय: इस जगह भीख मांगता था । आश्चर्य आज वो मेरी कार का शीशा खटखटा रहा
था। मैंने तुरन्त उसे दस का नोट थमा दिया ।
आज भी मेरे जहन मे यह प्रश्न नश्तर सा चुभ
रहा है, क्या कारण था कि वो मुझे
स्कूटर पर देख भीख नहीं मांगता था? महिला होना कारण नहीं
हो सकता है। आज कार भी तो मैं चला रही थी ।
क्या मेरा साइड अटैचमेंट वाला स्कूटर जो प्राय: लोगों को विकलांगता का प्रमाणपत्र
लगता था। क्या वो हिजडा मेरी विकलांगता के प्रति द्रवित था ? कौन किस पर दया कर रहा था ? शरीर की दिखाने वाली
विकंलागता उसके दर्द से बड़ी थी ? प्रश्नों का एक सहलाब
आज भी मेरे जहन में उमड़ धुमड़ रहा है। क्यों आखिर क्यों????????????
सीमा ‘स्मृति’
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