महानगरों में प्रत्येक हाऊसिंग सोसाइटी के आस
पास या कुछ दूरी पर प्राय: एक झुगी झोंपडी बस्ती होती है । वरना घरों में काम
करने के लिए बाईयाँ कहाँ से मिलेगी। मुझे मालिकों और नौकरों का रिश्ता परस्पर परजीवी सा प्रतीत होता है। हमारी हाऊसिंग
सोसाइटी से कुछ दूरी पर, यमुना पुश्ते के
पास एक झुगी झोंपड़ी बस्ती है।
उस दिन सुबह जब ऑंख खुली, न्यूज पेपर में खबर पढ़ हैरान रह गई। यमुना पुश्ते
की उस बस्ती में बीती शाम आग लग गई । पूरी बस्ती जल गई । ये शुक्र था, किसी के
हताहत होने की खबर नहीं थी । बालकनी से देखा तो मिसेज शर्मा कार में कुछ सामान रख
रही थी । मुझ से रहा नहीं गया मैंने पूछा ही लिया ‘ मिसेज शर्मा, क्या
कहीं जा रही हैं?”
हां पुश्ते तक । क्या आप को मालूम नहीं
पुश्ते वाली झुगी बस्ती में कल रात आग लग
गई है। ‘मिसेज शर्मा ने कहा। ‘देखना आज कोई काम
वाली नहीं आएगी’ । सब से बड़ा दर्द मिसेज शर्मा ने जल्द बांट लिया । बस कुछ पुराने कपडे, बर्तन और थोड़ा सा
खाने का सामान है सोचा वहां बांट आऊं । वहां तो सब जल कर खा़ख हो गया है। मिसेज
शर्मा ने बताया।
एक दूसरे का दर्द बांटने के कारण ही इंसानियत
अभी जिन्दा है। मुझे आफिस के लिए तैयार होना था और आज तो काम वाली का इंतजार करना
भी बेकार है यह सोच मै जल्द अन्दर आ गई। काम निपटा जब मैं आफिस के लिए निकली तो
उसी बस्ती के आगे की मेन रोड से गुजर रही थी । देखा सब जल चुका था और बस्ती के
कुछ लोग उस बचे झुलसे सामान से कुछ खोज रहे थे । दूसरी और क्या देखती हूँ कि कार
वालों की लम्बी कतार थी और ऐसा लगा लोग आज सब कुछ दान कर देना चाहते थे । कितने
जाने पहचाने चेहरे हमारी ही सोसाइटी के थे । क्या कपडे, बिस्कुट, रोटियां डबल
रोटियां बरतन,पुरानी चपलें, चादरें बाल्टी
क्या क्या नहीं बांट रहे थे । यूं कि दानवीर होने की किसी प्रतियोगिता का कोई
लाइव शो चल रहा हो ।
अचानक उसी शाम मुझे आफिस के काम से शहर
से बाहर जाना पडा। चार दिन बाद लौटने पर
मुझे लगा कि मै भी बस्ती में कुछ देकर
आऊं यही सोच कार में कुछ सामान रख रही थी तो मिसेज मेहता ने कहा “बस्ती के लिए सामान ले जा रही हैं ।‘ अच्छा है हम सब
को बस्ती वालों की सहायता करनी चाहिए। जितनी जल्दी ये लोग रिहैबलिटेट होगें उतनी
जल्दी ये काम वालियां काम पर आएगी । वरना मुशिकल तो हम
वर्किगं लेडिज की की होने वाली है।“
मैं बस्ती में सामान बांट निकल ही रही
थी कि बरबस मेरे कदम एक बच्ची की मीठी सी आवाज सुन थिर हो गए वो अपनी बडी बहन से
बिस्कुट का डिब्बा मांगते मांगते कहा रही थी । दीदी, दो ना, मुझे वो वाला पैकेट
दो । दीदी आजकल कितना बढिया सामान मिल रहा देखो, देखो मेरी नई फार्क । ये बिस्कुट तो बहुत स्वाद है, वाह मजा आ गया ओह, ये तो खत्म
होने वाला है। दीदी, दीदी बस्ती
में दोबारा आग कब लगेगी ?????
सीमा स्मृति
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