Wednesday, October 16, 2013

प्रयास


मैं कोई गुजारा लम्‍हा नहीं
जिसे भुलाने की कोशिश हो
मैं इक सच हूँ
मैं इक यथार्थ हूँ
कोई सपना नहीं
जो सुबह हो धुँधला जाऊँ
सच जीया जाता है
यथार्थ से जूझना पड़ता है
इंसान हो
खुद ही जान जाओगे
दर्द कहा नहीं जाता
सहा जाता है
जिन्‍दगी बहुत रंगीन ना सही
रंगहीन ही सही,
उसमें वक्‍त के बेरहम रंग ही सही
उसे संघर्ष के कैन्‍वस पर उतार
इक रूप तो दिया जा सकता है।
सीमा स्‍मृति

13.12.12

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